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Sunday, May 31, 2009

उंगलियाँ आज भी...


उंगलियाँ आज भी इस सोच में गम हैं....

उसने किस तरह नए हाथ को थामा होगा....

(अहमद फ़राज़)


ऑरकुट पर अहमद फ़राज़ की कम्युनिटी में जब ये शेर पढ़ा तो एक ही बार में दिल को छू गया।
हर
वो इंसान जिसने प्यार में धोका खाया है शायद बरसों-बरस इसी सोच में गम रहता है।
सच ये है की कितना भी क्यूं सोच लिया जाए कोई फर्क नही पड़ता। कुछ लोग दुनिया में आते ही धोके-बाज़ी के लिए हैं। ऐसे ही लोगों के दिए हुए ज़ख्मो को बड़ी ही खूबसूरती से बयान करता है ये शेर।

मेरी
बीमारी ठीक होने का नाम नही ले रही है। जैसे जैसे वक्त गुज़रता जा रहा है, दिल का दर्द और भयानक होता जा रहा है। मैंने अपने पुराने रिश्तों को भुला दिया है। नए सिरे से शुरुवात करना चाहता हूँ, नए नज़रिए के साथ। पर तबियत है की साथ ही नही देती। सब कहते हैं की कुछ दिनों बाद दर्द की दवाइयाँ भी अपना असर बंद कर देती हैं। यही चाहता हूँ की वो नौबत आने से पहले ठीक हो जाऊँ।
हे भगवान्! मेरी मदद करो।

2 comments:

Ankit B. Rathod said...

my dearest frnd.... u are a different person altogether on the blog... u are never so sad when u meet someone personally... this blog is truly the mirror of your heart....

cheers dude !

dnt remain sad.... cheer up !!

ankit b. rathod
http://good-for-nothin.blogspot.com

Unknown said...

ohhhh tho baby now cheer up yaar
.
frgt past yar live in today re
.
n i think u hav enough to live nw n with whom u can cheer up so dnt b sad samjha ..
M
I
S
S
I
N
G
YOU
A
L
L

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